शंदना, जो अपनी माँ दुर्रे-ए-शहवार से ईर्ष्या करती है, यह सोचती है कि उसकी माँ ने एक आदर्श जीवन जीया।
लेकिन जब उसकी माँ उसे अपने संघर्षों की कहानी सुनाती है, तो शंदना को पता चलता है कि दुर्रे-ए-शहवार का जीवन भी कठिनाइयों से भरा था।
दुर्रे-ए-शहवार ने अपने ससुराल वालों के तानों और अपने पति मंसूर की बेरुखी के बावजूद, सालों तक धैर्य से संघर्ष किया….
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