अमीर नौशेरवान मजबूरी में अपनी ज़िम्मेदारियाँ संभालने लगता है।
उसकी ज़िंदगी तब बदल जाती है जब उसकी मुलाकात मासूम और संघर्षों से घिरी दुआ से होती है, जो एक साधारण पृष्ठभूमि से है।
अब नौशेरवान के सामने एक मुश्किल फैसला है—प्यार और कर्तव्य के बीच चुनने का।
क्या वह दिल की सुनेगा या अपनी ज़िम्मेदारियों को प्राथमिकता देगा? जानने के लिए यह कहानी ज़रूर देखें।
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